पड़ गए सारे रंग फीके तेरी बेवफ़ाइयों से
मैं जहां जहां से गुज़रा हु मेरी जग हसाई
मेरी नींद तूने लूटी मेरा चैन तूने लूटा
तुझे रास क्यों न आई बरसो की आशनाई
तुझे आसमान बनाया मैंने अपनी ज़िन्दगी का
मुझे क्या पता था होगी तेरे दिल में बेवफाई
जो सजा मैंने देदी तेरी आरज़ू में खुद को
मेरे ख्वाब सारे टूटे मुझे नींद तक ना आई.