तेरी आँखों के ये जो प्याले हैं,
मेरी अंधेरी रातों के उजाले हैं,
पीटा हूँ जाम पर जाम तेरे नाम का,
हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं!!
मैखाने मैं आऊंगा मगर पिऊंगा नहीं साकी,
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती.
न पीने का शौक था ,न पिलाने का शौक था ,
हमें तो सिर्फ नजरे मिलाने का शौक था ,
पर क्या करे यारो , हम नजरे ही उनसे मिला बैठे…
जिन्हें सिर्फ नजरो से पिलाने का शौक था ……!!
बुरी आदतें अगर वक़्त पे ना बदलीं जायें,
तो वो आदतें आपका वक़्त बदल देती हैं.
थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए,
थोड़ी ख़ुशी मिली तो मिला के पी गए,
यूँ तो हमें न थी ये पीने की आदत,
शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए..!
शराब और मेरा कई बार ब्रेकअप हो चुका है,
पर कमबख्त हर बार मुझे मना लेती है।
अब के सावन में सबका हिसाब कर दूंगा
जिसका जो वाकी है वो भी हिसाब कर दूंगा
और मुझे इस गिलास में ही कैद रख वरना
पूरे शहर का पानी शराब कर दूंगा ||
उम्मीद नहीं है फिर भी जिए जा रहा हूँ,
खाली है बोतल फिर भी पिए जा रहा हूँ,
पता नहीं वो मिलेंगे या नहीं,
इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए पिए जा रहा हूँ!!
जाम पे जाम पिने से क्या फायदा,
शाम को पी सुबह उतर जाएगी,
अरे दो बूँद मेरे प्यार की पी ले,
ज़िन्दगी सारी नशे में ही गुजर जाएगी!!
मेरी कबर पे मत गुलाब लेके आना
न ही हाथों में चिराग लेके आना
प्यासा हूँ मैं बरसो से जानम
बोतल शराब की और एक गिलास लेके आना…!
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ🍺,
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश,
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ!!
है ये शराब दर्द की दवा मेरे,
इसे पीने में कोई खराबी नहीं,
होता है जब दिल में दर्द तो पी लेता हूँ,
वैसे हूँ मैं शराबी नहीं |
पीते हैं लोग शराब महखाने में जाकर,
जो दो ही पलों में उत्तर जायेगी,
लेकिन मैंने तो पी है अपने सनम की आँखों से,
ये उम्र भर ना उतर पाएगी !!
आती हैं जब भी हिचकियाँ अब,
शराब मैं पी लेता हूँ,
अब तो वो वहम भी छोड़ दिया है,
कि कोई मुझे भी याद करता है..!
पी चुके हैं शराब हम हर गली हर दूकान से,
एक रिश्ता सा बन गया है शराब के ज़ाम से,
पाये हैं ज़ख्म हमने इश्क़ में ऐसे,
कि नफ़रत सी हो गयी है हमें इश्क़ के नाम से!!
देखूँगा कभी ऐ शऱाब,
तुझे अपने लबों से लगाकर,
तू मुझमे बसेगी,
कि मैं तुझमें बसूँगा।
दु ख इतना मिला कि हम घबरा कर पी गए,
ख़ुशी अगर थोड़ी सी भी मिली तो उसे मिलाकर पी गए,
यूं तो ना थी हमें शराब पीने कि आदत,
पर शराब को तनहा देखा तो तरस खाकर पी गए !!
ना कभी पीते थे ना कभी पिलाते थे,
हम तो बस उनकी नज़रों से नज़र मिलाते थे,
ना जाने कैसे हम उनसे आँखें मिला बैठे,
जो सिर्फ अपनी निगाहों से पिलाते थे..!
तुम्हारे नैनो के ये जो प्याले हैं,
मेरे लिए अँधेरी रातों में उजाले हैं,
पीता हूँ शराब के जाम तुम्हारे नाम के,
हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं !!
पीना चाहते थे हम सिर्फ एक जाम,
मगर पीते-पीते शाम से सवेर हो गयी,
बहके बहके कदम धीरे धीरे चले,
इसलिए आने में ज़रा सी देर हो गयी.