एक ज़रा सी भूल खता बन गयी,
मेरी वफ़ा ही मेरी सजा बन गयी,
दिल लिया और खेल कर तोड़ दिया उसने,
हमारी जान गयी और उनकी अदा बन गयी।
इक तुम हो जिसे प्यार भी याद नहीं,
इक में हूँ जिसे और कुछ याद नहीं,
ज़िन्दगी मौत के दो ही तो तराने हैं,
इक तुम्हें याद नहीं इक मुझे याद नहीं।
ज़ख्म इतने बड़े हैं इज़हार क्या करें,
हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें,
मर गए हम लेकिन खुली रह गयी ऑंखें,
अब इससे ज्यादा किसी का इंतज़ार क्या करें।
तेरे साये को दिल मे दबाये चलते हैं,
तेरी याद को दिल मे छिपाए चलते हैं,
जिस दिन उससे मुलाकात न हो,
उस दिन सांसो के गुल मुरझाये चलते हैं।
फुर्सत मिली जब हमको तो तन्हाई आ गई,
ग़म भी आया साथ में रुसवाई आ गई,
इन सबसे मिलने आँख में आँसू भी आ गए,
जब याद मेरे दिल को तेरी जुदाई आ गई।
कभी मैं भी तेरी मोहब्बत के नशे में था,
मेरी आँख में भी खुमार था, मगर अब नहीं,
कभी ये दिल बाग़-ओ-बहार था, मगर अब नहीं,
तेरा ज़िक्र वजह-ए-करार था, मगर अब नहीं।
वक़्त ही दर्द के काँटों पे सुलाए दिल को,
वक़्त ही दर्द का एहसास मिटा देता है,
रोने से तसल्ली कभी हो जाती थी,
अब तबस्सुम मेरे होंठों को जला देता है।
किस्मत के खेल को, कौन जानता था,
जो आज मेरा हैं वो कल पराया होगा,
जानकर भी रोक ना पाते तकदीर की रवानी को,
किस्मत ने भी जाने कितनो को हराया होगा.
मैंने दिए जलाये उजालों के लिए,
पर अंधेरों का साया बहुत गहरा था,
नींद ना आई मेरी आँखों में कभी,
इस कदर तेरी चाहत का दिल पे घाव गहरा था.
काश वो नगमे सुनाये ना होते,
आज उनको सुनकर ये आंसू आये ना होते,
अगर इस तरह भूल जाना ही था,
तो इतनी गहरायी से दिल में समाये ना होते.
ज़िन्दगी देने वाले यूँ मरता छोड़ गए,
अपनापन जताने वाले यूँ तनहा छोड़ गए,
जब पड़ी जरुरत हमें अपने हमसफ़र की,
तो साथ चलने वाले अपना रास्ता मोड़ गए.
खता हो गयी तो फिर सज़ा सुना दो,
दिल में इतना दर्द क्यूँ है वजह बता दो,
देर हो गयी याद करने में जरूर,
लेकिन तुमको भुला देंगे ये ख्याल मिटा दो.
क्या कहूँ तुझे, ख्वाब कहूँ तो टूट जायेगा,
दिल कहूँ, तो बिखर जायेगा।
आ तेरा नाम ज़िन्दगी रख दूँ,
मौत से पहले तो तेरा साथ छूट न पायेगा।
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
दूर ही सही मगर तुझसे प्यार तो है,
तेरे इन्कार के बाद भी इंतज़ार तो है।
अगर आसान होता भूलना, तो भूल जाते,
पर आज भी ये दिल बेक़रार तो है।
सारी उम्र में एक पल भी आराम का न था,
वो जो दिल मिला किसी काम का न था,
कलियाँ खिल रही थी हर गुल था ताज़ा,
मगर कोई भी फूल मेरे नाम का न था।
जीने की ख्वाइश में हर रोज़ मरते हैं,
वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं,
जूठा ही सही मेरे यार का वादा,
हम सच मानकर ऐतबार करते हैं।
दर्द की दास्तान अभी बाकी है,
मोहब्बत का इम्तेहान अभी बाकी है,
दिल करे तो ज़ख्म देने आ जाना,
दिल ही टूटा है जान अभी बाकी है।
मेरी हर खता पर नाराज़ ना होना,
काजल लगे पलकों को आंसुओं से ना धोना,
सुकून मिलता है देख कर तुम्हारी मुसकुराहट,
अगर मौत भी आजाये मुझे तो तुम ना रोना ll
ग़म हूँ, दर्द हूँ, साज़ हूँ, या आवाज़ हूँ,
बस जो भी हूँ तुम बिन बहुत उदास हूँ।
बस एक बात दिल पर लगती है,
और दिल फिर कहीं लगता ही नहीं।