जीत ले जो दिल वो नजर हम भी रखते हैं,
भीड़ में भी नजर आये वो असर हम भी रखते हैं,
यूँ तो हमने किसी को मुस्कुराने को कसम दी है,
वरना इन बदनसीब आँखों में समंदर हम भी रखते हैं।
हम उम्मीद की दुनिया बड़े अच्छे से बसाते रहे.
वो हर पल हमे आजमाते रहे.
जब मोहब्बत मे मरने का वक्त आया तो.
हम मर गए और वो बड़े प्यार से हमारे दर्द में मुसकुराते रहे.
मुझे यूं रुलाकर सोना तो तेरी आदत सी हो गयी है,
जिस दिन नहीं खुली अगर मेरी आँखें, तुझे नींद से दुश्मनी हो जाएगी !!
अब भी ताज़ा हैं ज़ख्म मेरे सीने में,
बिन तेरे क्या रखा है जीने में,
हम तो ज़िंदा हैं सिर्फ तेरा साथ पाने के लिए,
वरना वक़्त नहीं लगता ज़हर पीने में !!
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी,
सुनते थे कि वो आयेंगे सुनते थे सुबह होगी,
कब जान लहू होगी, कब अश्क गुहर होगा,
किस दिन तेरी शुनवाई, ऐ दीद-ए-तर होगी।
चंद साँसे बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो,
झूठा ही सही एक बार मगर तुम प्यार दे दो,
जिंदगी वीरान थी और मौत भी गुमनाम ना हो,
मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हजार दे दो।
मत पूछ ज़िन्दगी कैसे गुजरती है तन्हाई में,
आँखों से बरसते हैं आँसू उनकी जुदाई में,
न जाने किस जुर्म की सजा मिली है मुझे,
बहुत रोता है दिल मेरा उनकी बेवफाई में।
खुदा करे कोई इश्क़ का शिकार ना हो;
जुदा अपने प्यार से कोई प्यार ना हो;
मैं उसके बिना ज़िंदगी गुज़ार दूँ;
बेशर्ते उसको किसी से प्यार ना हो।
यह ग़ज़लों की दुनिया भी अजीब है;
यहाँ आँसुओं का भी जाम बनाया जाता है;
कह भी देते हैं अगर दर्द-ए-दिल की दास्तान;
फिर भी वाह-वाह ही पुकारा जाता है।
ज़िन्दगी के उलझे सवालो के जवाब ढूंढता हु,
कर सके जो दर्द कम, वोह नशा ढूंढता हु,
वक़्त से मजबूर, हालात से लाचार हु मैं,
जो देदे जीने का बहाना ऐसी राह ढूंढता हु..!
वो है अपने देखें हो मैने जैसे झूठे सपने,
किससे कहें सब के सब दुख खुद ही सहें,
हे अनजानी जीवन की कहानी किसने जानी..!
मुझको तो दर्द-ए-दिल का मज़ा याद आ गया,
तुम क्यों हुए उदास तुम्हें क्या याद आ गया?
कहने को जिंदगी थी बहुत मुख्तसर मगर,
कुछ यूँ बसर हुई कि खुदा याद आ गया।
दिल कही लगता ही नहीं आप के बिना.
चुपचाप पड़े से रहने लगे है आप के बिना.
जल्दी से वापस आओ वरना.
जी ना पाएंगे आप बिना.
दिल जो मेरा अगर कल्पा ना होता तो.
हमने भी आंखो को दर्द से सुजाया ना होता.
दो पल की ख़ुशी मे छुपा लेते सारे दर्द को.
अगर सपने की सच्चाई को मैंने सँजोया ना होता.
बहारों के फूल एक दिन मुरझा जायेंगे,
भूले से कहीं याद तुम्हें हम आ जायेंगे,
अहसास होगा तुमको हमारी मोहब्बत का,
जब कहीं हम तुमसे बहुत दूर चले जायेंगे।
काश वो समझ पाते मेरे इस दिल की तड़प को,
तो मुझे यूं रुस्वा ना किया जाता,
ये बेरूखी भी उनकी मंजूर थी मुझे,
एक बार तो बस मुझे जो समझ उन्होंने लिया होता.
दर्द जो मेरे दिल में उठा है, उसपर दवा लगाने वाला कोई नहीं,
आग लगी है जो दिल में मेरे, उसे बुझाने वाला कोई नहीं,
किस से उम्मीद रखूँ मैं इस भरी दुनिया में,
हर किसी ने रुलाया मुझे इतना, कि हँसाने वाला कोई नहीं.
कल उसकी याद पूरी रात आती रही,
हम जागे पूरी दुनिया सोती रही,
आसमान में बिजली पूरी रात होती रही,
बस एक बारिश थी जो मेरे साथ रोती रही...!
आखिर क्यों मुझे तुम इतना दर्द देते हो,
जब भी मन में आये क्यों रुला देते हो,
निगाहें बेरुखी हैं और तीखे हैं लफ्ज़,
ये कैसी मोहब्बत हैं जो तुम मुझसे करते हो.
मेरे बहते आंसुओ की कोई कदर नहीं,
क्यों इस तरह नजरो से गिरा देते हो,
क्या यही मौसम पसंद है तुम्हे जो,
सर्द रातो में आंसुओ की बारिश करवा देते हो.