क्यों मेरी किस्मत मुझसे खफा है,
मैं जिसको भी अपना समझता हूँ वो बेवफा है,
क्यों न करूं शिक़वा मैं इस रात से,
मैं जो भी ख्वाब देखूँ तो हो जाती है सुबह।
मुझे तो अपने दर्द में एक सुकून सा मिलने लगा है,
अगर दर्द न मिले तो अब तो दर्द होने लगा है।
तेरी मोहब्बत में इस जहां को भूल गए,
हम औरों को अपनाना भूल गए,
सारे जहां को बताया तुझ से मोहब्बत है,
सिर्फ तुझे ही बताना भूल गए।
दिल के जख्मों को उनसे छुपाना पड़ा,
पलके भीगीं थी पर मुस्कुराना पड़ा,
कैसे उल्टे हैं महोब्बत के ये रिवाज?
रूठना चाहते थे पर उनको मनाना पड़ा..!
समय अच्छा हो तो आपकी गलती भी मजाक
लगती हैऔर समय खराब हो तो मजाक भी गलती बन जाती है..
मतलबी लडकी से अच्छी तो मेरी सिगरेट हे यारो…!
जो मेरे होठ से अपनी जिंदगी शुरू करती हे ओर मेरे कदमो के नीचे अपना दम तोड देती हे…!
बेदिली इस क़दर है की आज...!
हमे कुछ नही चाहिए,
यहां तक कि मोहब्बत भी नही ।।
मोहब्बत और भरोसा ज़िन्दगी में कभी मत खोना,
क्योंकि मोहब्बत हर किसी से नही होती,
और भरोसा हर किसी पे नही होता।
मेरी वफ़ाएँ याद करोगे,
रोओगे फरियाद करोगे,
मुजको तो बर्बाद किया हे,
अब ओर किसे बर्बाद करोगे.
इस मोबाईल ने बड़ों – बड़ों के खाने ख़राब कर दिए,
दुख आ गए खुशियों के अफ़साने ख़राब कर दिए,
तुम सिर्फ़ बच्चों की बात करते हो,
इस मोबाइल ने ज़माने के ज़माने ख़राब कर दिए!.
उस इश्क़ की आग मेरे दिल को आज भी जलाया करती है,
जुदा हुए तो क्या हुआ ये आँख आज भी उनका इंतज़ार करती है।
रोज तेरा इंतजार होता है रोज ये दिल बेक़रार होता है,
काश के तुम समझ सकते के चुप रहने वालों को भी प्यार होता है।
रिहाई दे दो हमें अपनी मोहब्बत की कफस से,
कि अब ए दर्द हमसे और सहा नहीं जाता..!
वो हर बार मुझे छोड़ के चली जाती है तन्हा,
मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ।
बीमारी खरगोश की तरह आती है,
और कछुए की तरह जाती है,
लेकिन पैसा कछुए की तरह आता है,
और खरगोश की तरह जाता है।
ऐ बेवफा सांस लेने से तेरी याद आती है,
ऐ बेवफा सांस न लूँ तो भी मेरी जान जाती है,
मैं कैसे कह दूं कि बस मैं सांस से जिंदा हूँ,
ये सांस भी तो तेरी याद आने के बाद आती है।
यूँ तो ए ज़िन्दगी तेरे सफर से शिकायते बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुँचे तो कतारे बहुत थी !!
शिकायते बयां करना इसलिए मुश्किल होता है,
की जिसे हम सुनना चाहते हैं वो हमे सुनकर भी बेखबर बना रहता हैं..!
शुगर का डर लोगों में इतना बढ़ गया है,
मीठा खाना ही नहीं मीठा बोलना भी बन्द कर दिया है..!!
मुझे इतना याद आकर बेचैन न करों तुम,
एक यही सितम काफ़ी है कि साथ नही हो तुम..!
कभी कभी पता ही नहीं लगता की दाँव पर क्या लगा है,
हारने के बाद अहसास होता है कि बहुत कुछ हार गए हैं..!