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There was a Bus Conductor, who was Very Rude to his passengers.

One day, a Beautiful Young Girl, of around 18 Years, tried to board the bus, but he didn't stop the bus.

Unfortunately, the beautiful young girl came under the bus and died on the spot.

Angry passengers took the conductor to the police station, who in turn took him to the court.

The Judge was not at all impressed with him and gave him capital punishment.

He was taken to the electrocution chamber. There was a single chair in the center of the room. The conductor was strapped to the chair and high voltage current was given to him. But, to everyone's amazement, he survived. The judge decided to set him free, and he returned to his profession.

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A couple of months later, an elderly gentleman tried to board the bus.

This time the Bus conductor, remembering his earlier experience stopped the bus. Unfortunately, the elderly gentleman slipped and died due to his injuries.

The conductor was taken to the police station and then to the court, to the same judge.

Though, he hadn't done anything wrong, but considering his past record the judge decided to set an example and gave him capital punishment.

The Bus conductor was again taken to the same electrocution chamber where there was a single chair in the center of the room. He was strapped to the chair and high voltage current was given to him.

This time he died instantly.....!!!!!

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The question is why didn't he die on the first occasion..?? but, died instantly the second time....??

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Okay........ here is the Answer............

During the first time The Conductor was a Bad Conductor, therefore electricity didn't pass through him. But, during the second time, he was a Good Conductor, so electricity passed through him freely and he died !!!! Physics never go wrong....

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Don't look at me...!!

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I am also looking for the Person

who sent me this...:

एक जिम्मेदार पति डॉक्टर के पास गया और कहा कि डॉक्टर साहब मेरी बीबी बहरी हो गयी है, मैं कमरे से आवाज़ लगाते रहता हूँ पर वो सुन नहीं पाती है ..!!

डॉक्टर – आप उन्हें यहाँ ले आइये !

पति : नहीं डॉक्टर साहब,

मै उससे बहुत प्यार करता हूं और इस बारे में उसे कुछ भी नहीं बताना चाहता,

आप कोई दवा दे दीजिये, जिसे मैं उसे बिना कुछ कहे खिला दू

डॉक्टर : ठीक है, पहले आप एक टेस्ट कीजिये

आप 40 फ़ीट दूर से पूछिये – HOW ARE YOU…

यदि वो नहीं सुन पाये तो फिर 30 फ़ीट दूर से पूछिये

फिर भी नहीं सुन पाये तो 20 फ़ीट . फिर 10 फ़ीट

तब आप आ के मुझसे मिलियेगा, उस हिसाब से मैं उनके लिए दवाईयां प्रिस्क्राइब करूँगा..!!

पति खुश हो कर रात को घर में जाता है, बीबी किचन में खाना बना रही होती है

पति 40 फ़ीट से पूछता है

डार्लिंग आज खाने में क्या बना रही हो ????

बीबी जवाब नहीं देती

30 फ़ीट से, स्वीटी आज खाने में क्या बना है ????

कोई जवाब नही मिलता.

20 फ़ीट से, जानू आज खाने में क्या बना है ????

नो रिस्पॉन्स…

10 फ़ीट से, डार्लिंग आज खाने में क्या है ????

फिर भी कोई जवाब नहीं तो पति एकदम से पीछे चिपक के उससे पूछता है..

डार्लिंग आज खाने में क्या है ?????

तब बेचारी पलट कर कहती है.

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5 बार तो बता चुकी हूँ .

“आलू के पराठे बनाये हैं..!!”

अक्सर समस्या होती हमारे साथ है और हम ढूँढते दूसरे में हैं ।

एक सेठ जी थे –

जिनके पास काफी दौलत थी.

सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी.

परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी, शराबी निकल गया.

जिससे सब धन समाप्त हो गया.

बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो,

मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो?

सेठ जी कहते कि

“जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे…”

एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि, तभी उनका दामाद घर आ गया.

सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये…

यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू, जिनमे अर्शफिया थी, दिये…

दामाद लड्डू लेकर घर से चला,

दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और पैसे जेब में डालकर चला गया.

उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगे…मिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया.

सेठ जी लड्डू लेकर घर आये.. सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे, अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया.

सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात कह डाली…

सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा…

देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न ही मिठाई वाले के भाग्य में…

इसलिये कहते हैं कि भाग्य से

ज्यादा

और…

समय

से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मीलेगा!

ईसी लिये ईशवर जितना दे उसी मै संतोष करो…

भगवान् बुद्ध क एक अनुयायी ने कहा , ” प्रभु ! मुझे आपसे एक निवेदन करना है .”

बुद्ध: बताओ क्या कहना है ?

अनुयायी: मेरे वस्त्र पुराने हो चुके हैं . अब ये पहनने लायक नहीं रहे . कृपया मुझे नए वस्त्र देने का कष्ट करें !

बुद्ध ने अनुयायी के वस्त्र देखे , वे सचमुच बिलकुल जीर्ण हो चुके थे और जगह जगह से घिस चुके थे …इसलिए उन्होंने एक अन्य अनुयायी को नए वस्त्र देने का आदेश दे दिए.

कुछ दिनों बाद बुद्ध अनुयायी के घर पहुंचे .

बुद्ध : क्या तुम अपने नए वस्त्रों में आराम से हो ? तुम्हे और कुछ तो नहीं चाहिए ?

अनुयायी: धन्यवाद प्रभु . मैं इन वस्त्रों में बिलकुल आराम से हूँ और मुझे और कुछ नहीं चाहिए .

बुद्ध: अब जबकि तुम्हारे पास नए वस्त्र हैं तो तुमने पुराने वस्त्रों का क्या किया ?

अनुयायी: मैं अब उसे ओढने के लिए प्रयोग कर रहा हूँ ?

बुद्ध: तो तुमने अपनी पुरानी ओढ़नी का क्या किया ?

अनुयायी: जी मैंने उसे खिड़की पर परदे की जगह लगा दिया है .

बुद्ध: तो क्या तुमने पुराने परदे फ़ेंक दिए ?

अनुयायी: जी नहीं , मैंने उसके चार टुकड़े किये और उनका प्रयोग रसोई में गरम पतीलों को आग से उतारने के लिए कर रहा हूँ.

बुद्ध: तो फिर रसॊइ के पुराने कपड़ों का क्या किया ?

अनुयायी: अब मैं उन्हें पोछा लगाने के लिए प्रयोग करूँगा .

बुद्ध: तो तुम्हारा पुराना पोछा क्या हुआ ?

अनुयायी: प्रभु वो अब इतना तार -तार हो चुका था कि उसका कुछ नहीं किया जा सकता था , इसलिए मैंने उसका एक -एक धागा अलग कर दिए की बातियाँ तैयार कर लीं ….उन्ही में से एक कल रात आपके कक्ष में प्रकाशित था .

बुद्ध अनुयायी से संतुष्ट हो गए . वो प्रसन्न थे कि उनका शिष्य वस्तुओं को बर्वाद नहीं करता और उसमे समझ है कि उनका उपयोग किस तरह से किया जा सकता है।

मित्रों , आज जब प्राकृतिक संसाधन दिन – प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं ऐसे में हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि चीजों को बर्वाद ना करें और अपने छोटे छोटे प्रयत्नों से इस धरा को सुरक्षित बना कर रखें.

एक पति-पत्नी में तकरार हो गयी —पति कह रहा था :

“मैं नवाब हूँ इस शहर का लोग इसलिए मेरी इज्जत करते है और तुम्हारी इज्जत मेरी वजह से है।”

पत्नी कह रही थी : “आपकी इज्जत मेरी वजह से है। मैं चाहूँ तो आपकी इज्जत एक मिनट में बिगाड़ भी सकती हूँ और बना भी सकती हूँ।”

नवाब को तैश आ गया।

नवाब बोला :” ठीक है दिखाओ मेरी इज्जत खराब करके।”

बात आई गई हो गयी। नवाब के घर शाम को महफ़िल जमी थो दोस्तों की … हंसी मजाक हो रहा था कि अचानक नवाब को अपने बेटे के रोने की आवाज आई । वो जोर जोर से रो रहा था और नवाब की पत्नी बुरी तरह उसे डांट रही थी। नवाब ने जोर से आवाज देकर पूछा कि क्या हुआ बेगम क्यों डाँट रही हो?

तो बेगम ने अंदर से कहा कि देखिये न—आपका बेटा खिचड़ी मांग रहा है और जब भर पेट खा चुका है।

नवाब ने कहा कि दे दो थोड़ी सी और बेगम ने कहा घर में और भी तो लोग है सारी इसी को कैसे दे दूँ?

पूरी महफ़िल शांत हो गयी । लोग कानाफूसी करने लगे कि कैसा नवाब है ? जरा सी खिचड़ी के लिए इसके घर में झगड़ा होता है।

नवाब की पगड़ी उछल गई। सभी लोग चुपचाप उठ कर चले गए घर में अशांति हो रही है देख कर।

नवाब उठ कर अपनी बेगम के पास आया और बोला कि मैं मान गया तुमने आज मेरी इज्जत तो उतार दी लोग भी कैसी-कैसी बातें कर रहे थे। अब तुम यही इज्जत वापस लाकर दिखाओ।

बेगम बोली :”इसमे कौन सी बड़ी बात है आज जो लोग महफ़िल में थे उन्हें आप फिर किसी बहाने से निमंत्रण दीजिये।”

ऐसे ही नवाब ने सबको बुलाया बैठक और मौज मस्ती के बहाने।सभी मित्रगण बैठे थे । हंसी मजाक चल रहा था कि फिर वही नवाब के बेटे की रोने की आवाज आई —नवाब ने आवाज देकर पूछा :

बेगम क्या हुआ क्यों रो रहा है हमारा बेटा ?” बेगम ने कहा फिर वही खिचड़ी खाने की जिद्द कर रहा है ।” लोग फिर एक दूसरे का मुंह देखने लगे कि यार एक मामूली खिचड़ी के लिए इस नवाब के घर पर रोज झगड़ा होता है।

नवाब मुस्कुराते हुए बोला “अच्छा बेगम तुम एक काम करो तुम खिचड़ी यहाँ लेकर आओ .. हम खुद अपने हाथों से अपने बेटे को देंगे । वो मान जाएगा और सभी मेहमानो को भी खिचड़ी खिलाओ। ”

बेगम ने आवाज दी ” जी नवाब साहब”

बेगम बैठक खाने में आ गई पीछे नौकर खाने का सामान सर पर रख आ रहा था। हंडिया नीचे रखी और मेहमानो को भी देना शुरू किया अपने बेटे के साथ।

सारे नवाब के दोस्त हैरान -जो परोसा जा रहा था वो चावल की खिचड़ी तो कत्तई नहीं थी। उसमे खजूर-पिस्ता-काजू बादाम-किशमिश -गरी इत्यादि से मिला कर बनाया हुआ सुस्वादिष्ट व्यंजन था। अब लोग मन ही मन सोच रहे थे कि ये खिचड़ी है? नवाब के घर इसे खिचड़ी बोलते हैं तो -मावा-मिठाई किसे बोलते होंगे ?

नवाब की इज्जत को चार-चाँद लग गए । लोग नवाब की रईसी की बातें करने लगे।

नवाब ने बेगम के सामने हाथ जोड़े और कहा “मान गया मैं कि घर की औरत इज्जत बना भी सकती है बिगाड़ भी सकती है—और जिस व्यक्ति को घर में इज्जत हासिल नहीं उसे दुनियाँ मे कहीं इज्जत नहीं मिलती।”

सन् 2095 यानी की आज से 79 साल बाद।

रितेश अपने कमरे में चुपचाप गुमसुम सा बैठा है....तभी मम्मी की तरंगे कैच होने लगती है(उस समय तक शायद मोबाईल म्यूज़ियम में दिखेंगे और ऐसे छोटे छोटे ऊँगली में फिट होने वाले गजेट्स आजायेंगे जिनका बटन ऑन करने के बाद जिस व्यक्ति के बारे में सोचेंगे उस से मानसिक तरंगो से बात शुरू हो जाएगी जैसे आजकल मोबाईल से होती है।

रितेश हलो मम्मी ...कैसी है आप???

मम्मी:--ठीक हूँ बेटा ..तू बता अभी अमेरिका में धूप निकली की नही??

रितेश:--नही मम्मी अभी कहाँ... करीब दो महीने तो हो ही गए...अभी तक अन्धेरा ही है और मौसम विभाग की भविष्यवाणी हुई है की अभी एक महीने और सूरज निकलने के आसार नही है।

मम्मी:--ह्म्म्म यहाँ भी स्थिति ठीक नही है ..पिछले एक महीने से सूरज ढल ही नही रहा...85 डिग्री सेल्सियस तापमान बना हुआ है...भयंकर पराबैंगनी किरणे फैली हुई है..कल ही पडौस वाले जोशी जी का मांस पिघल कर गिरने लगा था...वो अभी भी I.C.U में भर्ती है

रितेश :--ओह्ह तो क्या उन्हने घर पे ओजोन कवर नही लगा रखा है क्या???

मम्मी-घर पर लगवा तो रखा है पर उनकी कार का ओजोन कवर थोडा पुराना हो गया था इसलिए...उसमे छेद हो गया और पराबैगनी किरणे उनकी बॉडी से टच हो गई थी।

रितेश:--अच्छा मम्मी आपने सुना इधर एक बड़ी घटना हो गई...परसो अमेरिका के किसी कस्बे एक पौधा पाया गया...पूरी दुनिया में अफरातफरी मच गई दुनिया भर के वैज्ञानिक वहाँ इकठ्ठा हो गए काफी रिसर्च चल रही आखिर दुनिया में एक वनस्पति दिखाई देना बहुत बड़ी बात है।

मम्मी:---अच्छा बेटा तू टाईम से अपने भोजन के केप्सूल तो लेता हैं ना???और हां वो पानी वाले केप्सूल लेना मत भूलना वरना तेरी तबियत खराब हो जाएगी।

और टाईम से ऑक्सीजन लेते रहना बेटा तेरे पापा ने एक बार ऑक्सीजन लेने में लापरवाही कर दी थी पुरे फेफड़े ही बदलवाने पड़ गए...तू तो जानता ही है की अच्छे वाले फेफड़े कितने महंगे हो गए है...।

रितेश:---मम्मी अभी बजाज के फेफड़े लांच होने वाले है जो कीमत में काफी कम है और सर्विस होंडा के फेफड़ो जैसी ही रहेगी।

और हां मम्मी आप भी याद रखना घर में तीन चार लिवर एक्स्ट्रा रखा करो.....यूँ भी दादा जी को हर तीन महीने में नया लिवर लगता ही है एकाध एक्स्ट्रा में भी रहना चाहिए कब रात बी रात जरूरत पड़ जाए।

आपको शायद यह मजाक लग सकता है पर अपनी आने वाली पीढ़ी को इन परिस्थितियों से बचाना है तो ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाइये और अपने दोस्तों/रिश्तेदारो/कलीग्स को भी इसके लिए प्रेरित कीजिए।

ஒரு அறிவு கதை :

ஒரு நாட்டில் ஒரு இளவரசன் இருந்தான். அவன் சிறந்த போர் வீரன்! அவனுடைய வாள் வீச்சிற்கு அந்த நாடே ஈடு கொடுக்க முடியாது. அந்த அளவிற்குச் சிறந்த வீரன்!!

அவன் ஒருமுறை அரண்மனையில் வாள் வீசி பயிற்சி செய்துக் கொண்டிருக்கையில், ஒரு எலி குறுக்கே ஓடியது. உடனே அதன் மீது வாளை வீசினான். அந்த எலி லாவகமாக தப்பித்துச் சென்றது. பிறகு மீண்டும் அதனைத் துரத்தி வாளை வீசினான், மீண்டும் தப்பித்து வளைக்குள் புகுந்துகொண்டது. உடனே மனம் உடைந்து போனான்...

அப்போது வந்த அரசர் "ஏன் சோகமாக இருக்கிறாய்?" என கேட்க "இந்த நாடே எனது வாள் வீசும் திறமைக்கு ஈடு கொடுக்க முடியாது போது, இந்த சாதாரண எலியை என்னால் கொல்ல முடியவில்லையே!"என விவரித்தான் இளவரசன்...

மன்னர் சிரித்துவிட்டு "எலியைக் கொள்ள வாள் பயிற்சி எதற்கு? அரண்மனைப் பூனையைக் கொண்டு வந்தாலே போதுமே!" என்றார்.உடனே அரண்மனை பூனை வரவழைக்கப்பட்டது...

அந்தப் பூனையும் எலியை வேட்டையாட முயன்றது. ஆனாலும் அந்த எலி எளிதாக அதனிடம் இருந்து தப்பித்து, தப்பித்துச் சென்றது. மீண்டும் இளவரசருடன் அரசரும் சோகமானார். அப்போது மந்திரி வந்தார். "என்ன அரசே..நீங்களும்இளவரசரும் சோகமாக இருக்கிறீர்கள்?" என்றார்.

அதற்கு அரசர் நடந்ததை கூறினார். "நம் நாட்டு பூனைகள் எதற்கு லாயக்கு...? ஜப்பான், பாரசீகம் போன்ற நாடுகளில் உள்ள பூனைகள் புலி உயரம் உள்ளன. எனவே அங்கிருந்து வரவழைப்போம்" என்றார் மந்திரி. அதேபோல் அவ் நாடுகளில் இருந்து பூனைகள் வரவழைக்கப்பட்டன.

ஆனால் அவற்றிடமிருந்தும் அந்த எலி சாமர்த்தியமாகத்தப்பித்துச் சென்று வளைக்குள் புகுந்தது. எலிக்கு இவ்வளவு திறமையா! என அனைவரும் வியந்து கொண்டிருக்கையில், அங்கே இருந்த அரண்மனைக் காவலன் "இளவரசே! இந்த எலிக்குப் போய் ஜப்பான், பாரசீகப் பூனையெல்லாம் எதுக்கு? எங்க வீட்டுப் பூனையே போதும்" என்றான். மன்னருக்கு நப்பிக்கை ஏற்படவில்லை. "என்ன.. அரண்மனையில் வளர்ந்து வரும் பூனையால் முடியாதது சாதாரண பூனையால் முடியுமா?" என்றார்...

உடனே இளவரசர் மறித்து "சரி...எடுத்து வா உனது பூனையை" என்றார். வீட்டிற்குச் சென்று தனது பூனையைக் கொண்டு வந்தான் காவலன். அந்தப் பூனை அந்த எலியை ஒரே தாவலில் "லபக்" என்று கவ்விச்சென்றது.இதனைப் பார்த்த இளவரசருக்குப் பெருத்த ஆச்சரியம். "என்ன இது அதியசம்!

ஜப்பான், பாரசீக அரண்மனையில் வளர்ந்த பூனைகளிடம் இல்லாத திறமை எப்படி இந்தச் சாதாரண பூனைக்கு ஏற்பட்டது? எப்படி சாத்தியம்? என்ன பயிற்சி கொடுத்துப் பூனையை வளர்க்கிறீர்கள்?" என்று வியந்தவாறே கேள்விகளை கேட்க தொடங்கினார்...

அதற்குக் காவலாளி "பெரிதாக என் பூனைக்குத் திறமையோ, பயிற்சிகளோ எதுவும் இல்லை இளவரசே... என் பூனைக்கு ரொம்பப் பசி அவ்வளவுதான்" என்றான்...

உடனே இளவரசருக்கு "சுரீர்" என்றது. அரண்மனைக்குள் பூனைகள் நன்கு தின்று கொழுத்திருப்பதால் அவற்றுக்கு பசி என்பதே என்னவெற்று தெரிய வாய்பில்லை. எனவே அவற்றால் எலியை எப்படி பிடிக்கமுடியும்?.

ஆக எந்த ஒரு வேலையையும் வெற்றிகரமாகச் செய்து முடிக்க வேண்டுமென்றாள், முதலில் அதனைப் பற்றிய பசி அல்லது தேவை இருக்க வேண்டும்!!!

அப்போதுதான் அந்தக் காரியத்தை கச்சிதமாக செய்து முடிக்க முடியும்!!!