मेरी बात सुन पगली
अकेले हम ही शामिल नही है इस जुर्म में....
जब नजरे मिली थी तो मुस्कराई तू भी थी...!!!!!
ज़रूरत’ दिन निकलते ही निकल पड़ती है ‘डयूटी’ पर,
‘बदन’ हर शाम कहता है कि अब ‘हड़ताल’ हो जाए ।।
कुछ चीजें कमजोर हिफाजत में भी महफूज रहती है,
जैसे मिट्टी के गुलक में लोहे के सिक्के..!!
सिर्फ लफ़्ज़ों को न सुनो,
कभी आँखें भी पढो ..
कुछ सवाल बड़े
खुद्दार हुआ करते है…
कागज़ के नोटों से आखिर किस किस को खरीदोगे...
किस्मत परखने के लिए यहाँ आज भी,
सिक्का हीं उछाला जाता है
पहना रहे हो क्यूँ मुझे तुम काँच का लिबास...
"बच गया है क्या फिर कोई पत्थर तुम्हारे पास.".!!
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,
बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है..!!
क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारों
अपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !
लोग कहते हैं वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है…
फिर न जाने क्यूँ छिपकर ज़िंदा रह जाती है ये मोहब्बत
कुछ सपनों को पूरा करने निकले थे गाँव से,
किसको पता था कि गाँव जाना ही एक सपना बन जायेगा.
एक कब्रिस्तान के बाहर लिखा था -
"सैकड़ों दफन है यहाँ, जो सोचते थे के
दुनिया उनके बिना नहीं चल सकती
न जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की,
अब वजह नही मिलती मुस्कुराने की.
राख से भी आयेगी खुशबू मोहब्बत की;
मेरे ख़त को तुम यूँ सरेआम जलाया न करो l
बहुत रोये वो हमारे पास आके..
जब एहसास हुआ अपनी गलती का..
चुप तो करा देते हम,
अगर चहरे पे हमारे कफन ना होता !!
अब उठती नहीं हैं आँखें, किसी और की तरफ.
पाबन्द कर गयीं हैं शायद, किसी की नज़रें मुझे.
मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली यारो..
वरना हम करके बताते नफरत किस को कहते है|
मुझको क्या हक़ मैं किसी को मतलबी कहूँ,
.
मै खुद ही ख़ुदा को मुसीबत में याद करता हूँ !
मेरी मोहब्बत की न सही
मेरे सलीके की तो दाद दे,
तेरा जिक्र रोज करते हैं
तेरा नाम लिए वगैर...!!!
इतनी लम्बी उम्र की
दुआ मत माँग मेरे लिये
ऐसा ना हो कि तू भी छोड दे
और मौत भी ना आए..!
कितने बहाने बनाके आपसे बात करते हैं,
हर पल हर घड़ी आपको महसूस करते है,
जितनी बार आप साँसे भी नही लिया करते होंगे,
उतनी बार हम आपको याद किया करते हैं।
Sitaron ke bagair asman men kya rakha hai,
Bin tere jeene men rakha kya hai?
Lagta hai sub kuch adhura sa,
Dosti ke bagair duniya men rakha kya hai?