संत की जाती नहीं होती;
आकाश का घुमाव नहीं होता;
भूमि का तौल नहीं होता और;
पारस का कोई मोल नहीं होता।
जो पुण्य करता है वह देवता बन जाता है;
जो पाप करता है वह पशु बन जाता है;
किन्तु जो प्रेम करता है वह आदमी बन जाता है।
धर्म न कोई करने की वस्तु है और न ही कोई पूजा पाठ का तरीका है;
धर्म तो मात्र सात्विक, कर्तव्य और अकर्तव्य है;
जो हमें अपने जीवन में उन्नति की ओर तथा;
सत्य एवं परमात्मा की ओर ले जाता है।
पवन पुत्र श्री हनुमान की जय;
मेरे तन में राम हैं;
मेरे रोम रोम में राम हैं;
मेरे मन में भी;
राम का ही नाम है।
सतगुरु अपनी वाणी से परमात्मा का सन्देश;
दर्शन से परमात्मा की अनुभूति;
और आशीर्वाद से परमात्मा की कृपाओं का अमृत बरसाते हैं।
तेज स्वर में की गई प्रार्थना, ईश्वर तक पहुंचे यह आवश्यक नहीं,
किन्तु सच्चे मन से की गई प्रार्थना,
जो भले ही मौन रह कर की गई हो;
वह प्रार्थना ईश्वर तक अवश्य पहुंचती है।
एक व्यक्ति ने स्वामी जी से पूछा:
सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है?
स्वामी ने जवाब दिया: "वो उम्मीद खोना जिसके भरोसे पर हम सब कुछ पा सकते हैं।"
जब अपने लिए दुआ करो तो दूसरों को भी याद किया करो।
क्या पता, किसी के नसीब की खुशी आपकी एक दुआ के इंतज़ार में हो।
जीवन में कभी भी कठिन हालत में अपनी आस्था को कम न होने दें;
क्योंकि;
भगवान जिसे सच्चे मन से प्यार करते हैं उन्हें ही अग्नि परीक्षाओं से होकर गुजारते हैं।
"जय श्री कृष्ण"
चार अक्षर पड़कर कोई ज्ञान नहीं मिलता;
मंदिर जाकर भगवान नहीं मिलता;
पत्थर लोग पूजते हैं इसलिए;
क्योंकि विश्वास के लायक इंसान नहीं मिलता!
बुराई से असहयोग करना मानव का पवित्र कर्तव्य है।
जो हाथ सेवा के लिए उठते हैं, वे प्रार्थना करते होंठों से पवित्र हैं।
ईश्वर से पूछा, "आपके और मानव के प्रेम में क्या अंतर है?"
ईश्वर ने कहा, आसमान में उड़ता पंछी मेरा प्रेम है;
और पिंजरे में कैद पंछी मानवीय प्रेम है!
मेरा-तेरा;
छोटा-बड़ा;
अपना-पराया;
मन से मिटा दो;
फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।
दुनियां में सबसे तेज रफ़्तार प्रार्थना की है,
क्योंकि दिल से जुबान तक पहुँचने से पहले यह भगवान तक पहुँच जाती है!
प्रभु के सामने जो झुकता है, वह सबको अच्छा लगता है;
लेकिन;
जो सबके सामने झुकता है वो प्रभु को अच्छा लगता है।
बच्चे झगड़ रहे थे
मोहल्ले
के न जाने किस बात
पर,
सूकून इस बात
का था न
मंदिर का ज़िक्र
था न
मस्जिद का...!!
किसी दूसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से अच्छा हैं
की हम अपने स्वंय के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें।
~ भगवान श्री कृष्ण ╭∩╮(-_-)╭∩╮.
मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है;
और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है।
एक उपहार तभी अच्छी और पवित्र लगता हैं जब वह दिल से किसी सही व्यक्ति को सही समय और सही जगह पर दिया जायें.
और जब उपहार देने वाला व्यक्ति दिल उस उपहार के बदले कुच्छ पाने का उम्मीद ना रखता हो।
~ भगवान श्री कृष्ण ~_~.
ऐसा कोई नही, जिसने भी इस संसार मे अच्छा कर्म किया हो और उसका बुरा अंत हुआ हो,
चाहे इस काल मे हो या आने वाला काल मे।
~_~भगवान श्री कृष्ण~_~.