हमने हर शाम चिरागों से सजा रखी है;
मगर शर्त हवाओं से लगा रखी है;
न जाने कौन सी राह से मेरे साईं आ जाएँ;
हमने हर राह फूलों से सजा रखी है।
मेरी औक़ात से बाहर मुझे कुछ ना देना मेरे मालिक;
क्योंकि
ज़रूरत से ज्यादा रोशनी भी इंसान को अंधा बना देती है।
कर ऐसी इनायत अए साहिबा तेरा शुकर मनाना आ जाए;
हम बन्दे हैं बन्दों की तरह हमें प्यार निभाना आ जाए।
मैं और मेरा इश्वर, दोनों एक जैसे हैं। हम रोज़ भूल जाते हैं।
वो मेरी गलतियों को और मैं उसकी
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मेहरबानियों को।
मनुष्य अपने विश्वास में निर्मित होता है;
जैसा वह विश्वास करता है,
वह वैसा बन जाता है!.
को काहू को मित्र नहीं, शत्रु काहू को नाय;
अपने ही गुण दोष से, शत्रु मित्र बन जाय।
'खुशियाँ' चंदन की तरह होती हैं दूसरे के माथे पर लगाओ फिर भी अपनी उँगलियाँ खुद ही महक जाती हैं।
तू अगर मुझे नवाज़े तो तेरा करम है मालिक;
वर्ना तेरी रहमतों के काबिल मेरी बंदगी नहीं।
ॐ साईं राम।
ईश्वर से कुछ मांगने पर न मिले तो उससे नाराज मत होना;
क्योंकि;
ईश्वर वह नहीं देता जो आपको अच्छा लगता है;
बल्कि वह देता है जो आपके लिए अच्छा होता है।
दुख मे सिमरन सब करे सुख में करे न कोए;
जो सुख में सिमरन करे तो दुख काहे को होए।
प्यार और विश्वास को हो सके तो कभी ना खोयें;
क्योंकि प्यार हर किसी से होता नहीं;
और;
विश्वास हर किसी पे होता नहीं;
ये दोनों ही जीवन के बहुमूल्य तथ्य हैं।
मंदिर में फूल चढ़ाने गए तो एहसास हुआ;
कि पत्थरों की ख़ुशी के लिए फूलों का क़त्ल कर आये हम;
मिटाने गए थे पाप जहाँ पर, वहीँ एक और पाप कर आये हम।
है फिर भी सुकून कि 'तलाश' है;
मालिक तेरा बंदा कितना 'उदास' है;
क्यों खोजता है इंसान 'राहत';
जब कि दुनिया में सारे 'मसलों' का हल है तेरी 'अरदास' में!
सारा जहाँ है उसका जो मुस्कुराना सीख ले;
रोशनी है उसकी जो समां जलाना सीख ले;
हर गली में मंदिर है;
हर गली में मस्ज़िद है;
पर ईश्वर है उसका जो सर झुकाना सीख ले।
इंसानियत इंसान को इंसान बना देती है;
लगन हर मुश्किल को आसान बना देती है;
वर्ना कौन जाता मंदिरों में पूजा करने;
आस्था ही पत्थरों को भगवान बना देती है।
प्रार्थना ऐसी करनी चाहिए जैसा कि;
सब कुछ ईश्वर पर ही निर्भर है;
और काम ऐसे करने चाहिए जैसे;
कि सब कुछ हम पर निर्भर है।
साईं वाणी:
जीवन मिलना भाग्य की बात है;
मृत्यु आना समय की बात है;
पर मृत्यु के बाद भी लोगों के दिलों में जीवित रहना;
ये 'कर्मों' की बात है।
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते;
तब तक आप भगवान पर भी विश्वास नहीं कर सकते।
संत की जाती नहीं होती;
आकाश का घुमाव नहीं होता;
भूमि का तौल नहीं होता और;
पारस का कोई मोल नहीं होता।
जो पुण्य करता है वह देवता बन जाता है;
जो पाप करता है वह पशु बन जाता है;
किन्तु जो प्रेम करता है वह आदमी बन जाता है।