Pyar Kiya To Unki Mohabbat Nazar Aayi,
Dard Hua Hame To Palkein Unki Bhar Aayi,
Do Dilo Ki Dhadkan Me Ek Baat Nazar Aayi,
Dil Unka Dhadka Par Aawaz Meri Aayi.
Hamne kaha log pyar
to bewafao se hi karte hai..
kuch log hame bhi
badi shiddat se chahte hai.
Badi koshish ke baad unhe bhula diya ,
Unki yaadon ko dil se mita diya ,,
Ek din fir unka paigam aaya likha tha mujhe bhool jao ,
Aur mujhe bhula hua har lamha yaad dila diya .
Jindgi ko pyar ki jarurat h
aur pyar ko insaan ki
par jab insaan hi bewafa ho
to batayo pyar kaise karein
Tumhari Har Ek Baat Bewafai Ki Kahani Hai
Lekin Teri Har Saans Meri Zindagi Ki Nishani Hai
Tum Aaj Tak Samajh Nahi Sake Mere Pyar Ko
Isliye Mere Aansoon Bhi Tere Liye Pani Hai
Na karna kisi se pyar ki umeed,
khwahish me sab kuch gawa doge
Har koi karega wada
ki wo saath dega apka
itna milega dhokha ki khud ko jala doge
Chala Tha Zikr Zamaane Ki Bewafai Ka,
Toh Aa Gaya Hai Tumhara Khyaal Waise Hi.
Sardiyon ki ek sard raat me
wo mere hath tham k bole
itne garm haath waffa ki nishani hoti hai,
ab khayal aaya k unke hath thande kyu the......
Teri Chaukhat Se Sar Uthau Toh Bewafa Kehna,
Tere Siwa Kisi Aur Ko Chaahu Toh Bewafa Kehna,
Meri Wafaon Pe Shaq Hai Toh Khanzar Utha Lena,
Main Shauq Se Na Mar Jayun Toh Bewafa Kehna.
खुदा के दरबार मे तुम्हारी सलामती की फरियाद करते हैं,
आप का तो पता नही मगर हम तो आपको एक पल मे सौ सौ बार याद करते हैं.
तन्हाई का उसने मंज़र नहीं देखा,
अफ़सोस की मेरे दिल के अन्दर नहीं देखा,
दिल टूटने का दर्द वो क्या जाने,
वो लम्हा उसने कभी जी कर नहीं देखा.
वो कह कर गई थी कि लौटकर आऊँगी.
मैं इंतजार ना करता तो क्या करता,
वो झूठ भी बोल रहा थी बड़े सलीके से,
मैं एतबार ना करता तो क्या क्या करता।
नजर नजर से मिलेगी तो सर झुका लेगा,
वह बेवफा है मेरा इम्तिहान क्या लेगा,
उसे चिराग जलाने को मत कह देना,
वह नासमझ है कहीं उंगलियां जला लेगा।
मोहब्बत का कोई एहसास अब सच्चा नही लगता.
में उसको भूल जाऊंगा मुझे ऐसा नही लगता.
मुझे उससे मोहब्बत तो नही है फिर भी जाने क्यों.
उसे देखू किसी के साथ तो अच्छा नही लगता.
तुमको समझाता हूँ इसलिए ए दोस्त
क्योंकि सबको ही आज़मा चुका हूँ मैं
कहीं तुमको भी पछताना ना पड़े यहाँ
कई हसीनों से धोखा खा चुका हूँ मैं।
जब तक न लगे बेवफ़ाई की ठोकर दोस्त;
हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है।
बहुत समझाया ख़ुद को मगर समझा नही पाये,
बहुत मनाया ख़ुद को मगर मना नही पाये,
जाने वो क्या जज्बा था वो एहसास था,
खूब भुलाना चाहा उसे हमने मगर भुला नही पाये
जिसकी मोहब्बत में मरनेव को तैयार थे हम,
आज उसकी बेवफाई ने हुम्हे जीना सिखा दिया..!!
बेवज़ह बिछड तो गये हो....
बस इतना बता दो...
कि.. सुकून मिला या नहीं...??
बेवफाई का डर था तो प्यार क्यों किया,
तनहाई का डर था तो इकरार क्यों किया,
मुझसे मौत भी पूछेगी आने से पहले,
कि जो नहीं आने वाले थे तूने उनका इंतजार क्यों किया.