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अगर बदल रहा है नाखूनों का रंग तो समझें

कुछ गड़बड़ है!

अक्सर हम अपने नाखूनों को सुंदर और आकर्षक बनाने में जुटे रहते हैं। लेकिन नाखूनों में होने वाले छोटे-मोटे बदलावों पर

हमारा ध्यान नहीं जाता। जबकि नाखूनों के लक्षण हेल्थ

की कहानी कहते है

नाखून पर हल्का सा नीला रंग नजर आ रहा है, तो यह शरीर

को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने का संकेत है।

आपको फेफड़ों की समस्या हो सकती है।

जब आपके नाखून लम्बे होने के बाद उंगलियों की तरफ ही

मुड़ने लगें, तो इसे नेल क्लबिंग कहते हैं। कई बार शरीर में

ऑक्सीजन की कमी से नाखूनों को यह शेप मिलती है।

अगर नाखून ड्राई और नाजुक हैं तो यह नाखूनों पर बहुत

ज्यादा केमिकल्स के प्रयोग की वजह से हो रहा है। यह कई

तरह के लंग कार्डियोवस्कुलर से जुड़ी बीमारी की तरफ भी

इशारा करते हैं।

नाखून पर एक से ज्यादा सफेद धारियां किडनी से जुड़ी

बीमारियों और शरीर में पोषक तत्वों की कमी की ओर

इशारा करती हैं।

इसी तरह अगर नाखून बहुत सॉफ्ट हैं और अंदर से खोखले नजर

आते हैं, तो यह लीवर संबंधी समस्या या फिर शरीर में आयरन

की कमी का संकेत माना जाता है। आयरन की कमी से

नाखून टूटने भी लगते हैं।

पीले पड़ते नाखून अगर मोटे भी हो रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं,

क्योंकि यह फंगल इंफेक्शन का लक्षण है। ऐसे में नाखून

कमजोर होकर टूटने भी लगते हैं। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर

को दिखाएं।

नाखूनों में चमक भी जरूरी है। अगर नाखूनों में चमक न हो, तो

समझ लें कि आपको एनीमिया की समस्या है। इस तरह के

नाखून वालों को डायबिटीज और लीवर से जुड़ी समस्याएं

होने की भी संभावना होती हैं।

काली रेखा या धब्बे नाखूनों पर नजर आ रहे हैं, तो आपको

मेलेनोमा हो सकता है। इस तरह के धब्बे आमतौर पर किसी

एक ही नाखून पर या पैर के नाखून में देखने को मिलते हैं।

सेहतमंद शरीर का आईना होते हैं हमारे नाखून, इन पर जरूर

गौर करें..

हैपेटाईटिस का इलाज ::( पीलिया )

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हैपेटाईटिस वास्तव में लीवर की संक्रमण से पैदा हुई खराबी है जिसे हम पीलिया के नाम से जानते हैं। अलग-अलग प्रकार के वायरस या रोगाणुओं से पैदा पीलिया को आधुनिक चिकित्सकों ने पहचान करके अलग-अलग नाम देने का काम किया है, पर विश्वास रखें की इलाज किसी भी प्रकार के पीलिया या हैपेटाईटिस का उनके (एलोपैथी) के लिये सम्भव नहीं। भारतीय पारम्पारिक चिकित्सा में इसके अनेक सरल पर पक्के इलाज हैं। हैपेटाइटिस-ए, बी, सी, आदि जो भी हो वे सब निश्चित रूप से ठीक हो सकते हैं।

--गुम्मा नामक (द्रोण पुष्पी) पौधे को पहचानते हों तो उसका एक चम्मच चूर्ण मिट्टी के बर्तन में 100 मि.ली. पानी डालकर भिगो दें। प्रात: मसल व छानकर रोगी को पिलाएं तथा प्रात: भिगोकर रात को पिला दें। 5-7 दिन में रोगी ठीक हो जाएगा।

--थोड़ा शहद और चने के दाने जितना कपूर मिलाकर देने से प्रभाव अधिक होगा। चूने का पानी 2-2 चम्मच दिन में 3 बार रोगी को पिलाएं यही पानी 10-15 दिन तक देते रहें। अन्य दवाओं के साथ भी इस प्रयोग को कर सकते हैं।

--पीली हरड़ का चूर्ण एक चम्मच तथा शहद या पुराना गुड़ (रसायनों से रहित) दिन में 2-3 बार दें। असाध्य पीलिया पर भी काम करेगा। 6 मास में एक बार 7 दिन तक इसका प्रयोग करते रहें, उल्टा-सीधा न खाएं (चाय, कॉफी, जंक फूड़) तो अम्ल पित्ता (हाईपर ऐसिडिटी, खट्टा पानी आना, बदहजमी) पूरी तरह सदा के लिए ठीक हो जाएगी।

--श्योनाक (टाटबडंगा, अरलू, तलवार फली) की छाल 150-200 ग्राम चूर्ण 200-250 मि.ली. पानी में मिट्टी के पात्र में भिगोकर रोज प्रात: दोपहर, सांय 3 बार में पिला दें। रोज नया चूर्ण भिगोएं। थोड़ा मीठा (खाण्ड-मिश्री) मिलाकर देना अधिक लाभदायक होगा।

(2 काले चने के बराबर) शुध्द कपूर पानी से निगलकर 30 मिनट बाद श्योनाक का पानी छानकर पीने से 1 या अधिक से अधिक 3 या 4 दिन में असाध्य पीलिया या ‘हैपेटाईटिस-बी’ तक ठीक हो जाता है।

--मूली के हरे पत्ते पीलिया में लाभदायक होते है। यही नहीं मूली के रस में भी इतनी ताकत होती है कि यह खून और लीवर से अत्‍यधिक बिलिरूबीन को निकाल सके। पीलिया या हेपेटाइटिस में रोगी को दिन में 2 से 3 गिलास मूली का रस जरुर पीना चाहिये। या फिर इसके पत्ते पीसकर उनका रस निकालकर व छानकर पीएं।

--टमाटर का रस पीलिया में बेहद लाभदायक होता है। इसके रस में थोड़ा नमक और काली मिर्च मिलाकर पीयें।

--नीम में कई प्रकार के वायरल विरोधी घटक पाए जाते हैं,इसकी पत्तयों के साथ में शहद मिलाकर सुबह-सुबह पियें

पिछले साल गोवा में फैब इंडिया के ट्रायल रूम में खुफिया कैमरा पकड़कर मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने बड़े-बड़े शो रूमों और शॉपिंग मॉल्स के ट्रायल रूमों की पोल खोल दी थी. इसके बाद देश के कई बड़े शॉपिंग स्टोर्स के ट्रायल रूम्स से खुफिया कैमरे पकड़े जाने कि शिकायतें आईं. इस घटना के बाद से ही शॉपिंग मॉल, होटल, लेडीज वॉशरूम हर जगह शक के दायरे में आ गईं. इसलिए इन सभी जगहों का इस्तेमाल करने से पहले महिलाओं के लिए कुछ बातें जानना बेहद आवश्यक है, ताकि वे पहले ही यह जान सकें कि कहीं वहां कोई खुफिया कैमरा तो नहीं लगा है. खासकर अगर आप किसी शॉपिंग मॉल के ट्रायल रूम या चेंजिंग रूम का इस्तेमाल कर रही हैं तो. आइए जानें.


1. ट्रायल रूम में घुसने से पहले यह देख लें कि आपके फोन में नेटवर्क है कि नहीं. ट्रायल रूम में घुसने के बाद अपने फोन से कॉल लें. अगर आप ट्रायल रूम में कॉल नहीं कर पा रही हैं तो इसका मलतब वहां कमरा लगा है.


2. ट्रायल रूम में खुफिया कैमरे की जानकारी के लिए आप वहां अपने मोबाइल फोन का कैमरा ऑन करें. अगर वहां कोई खुफिया कैमरा लगा है तो आपको फोन के कैमरे से एक अजीब सी आवाज आने लगेगी.


3. ट्रायल रूम में लगा मिरर यानी कि शीशा भी खतरनाक हो सकता है. ये शीशा असली है या टू वे मिरर है (यानी कि इस शीशे के दूसरी तरफ से कोई आपको देख सकता है) यह जानने के लिए फिंगरनेल टेस्ट कर सकती हैं. इसके लिए अपनी एक अंगुली को शीशे पर रखे, अगर आपकी उंगली की परछाई और आपकी उंगली के बीच गैप है तो यह असली शीशा है लेकिन अगर आप अपनी उंगली से उसकी परछाई को छू पा रही हैं तो सावधान हो जाइए ये शीशा नकली है और तुरंत ही उस ट्रायल रूम से बाहर निकलें और पुलिस को कॉल करें.


4. ट्रायल रूम के शीशे को उंगली से हल्का से ठोंके अगर उसमें से किसी खाली डिब्बे सी आवाज आए तो समझ जाइए कि यह शीशा नकली है.


5. इसके अलावा कैमरा डिटेक्टटर का प्रयोग करके भी ट्रायल रूम में लगे खुफिया कैमरे का पता लगाया जा सकत है. पुरानीदिल्ली टॉकीज ने ट्रायल रूम में लगे खुफिया कैमरे से कैसे बचें, इसकी जानकारी देते हुए एक शॉर्ट फिल्म बनाई है और उसके जरिए दिखाया है कि आप कैसे खुद को ट्रायल रूम में लगे कैमरे से बचा सकती हैं......

कैमिकल युक्त फल-सब्जियों को साफ करने के खास उपाय




उत्तम क्वालिटी के फल और सब्जियों की चाहत में आज के किसान सस्ते और हानिकारक कैमिकल का प्रयोग करते हैं। जिन्हें पेस्टीसाइड कहा जाता है। फलों और सब्जियों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचकर ये हानिकारक पेस्टीसाइड कैंसर , बच्चों में जन्मजात अपंगता जैसी बीमारी पैदा कर सकते हैं। हमारे शरीर को ये पेस्टीसाइड नुकसान न पहुंचा सके इसके लिये जरूरी हैं कि इन फलों और सब्जियों को खाने से पहले ठीक से साफ किया जाये, आखिर क्या है ये तरीका....


*नमक वाला पानी-*


सेंधा नमक मिले हुए पानी से फलों और सब्जियों को धोने से कीटनाशक का सफाया हो जाता है।


इसके लिये एक बड़े बर्तन में पानी भरें, उसमें सेंधा नमक डालकर 10 मिनट के लिये फल और सब्जियों को भिगो दें, फिर साफ पानी से धोकर खाने के लिये प्रयोग करें।


*हल्दी युक्त पानी-*


हल्दी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो कीटाणुओं का नाश करती है। एक भिगोने में पानी भरकर गर्म करें। जब पानी उबलने लगे तो उसमें 3 बड़े चम्मच हल्दी डाल दें। पानी जब ठंडा हो जाये तो उसमें फल और सब्जी डालकर अच्छी तरह धोये, फिर साफ पानी से धोकर प्रयोग करें।


*सिरके का प्रयोग-*


एक भिगोने में पानी भर कर उसमें 1 कप सफेद सिरका डाल दें। इसमें फलों और सब्जियों को डालकर अच्छी तरह धोयें और साफ पानी से धोकर प्रयोग करें।


*बेकिंग सोडा-*


भिगोने में पानी भरकर उसमें 4 चम्मच बेकिंग सोडा डाल दें। फलों और सब्जियों को 15 मिनट के लिये इसमें डुबो दें। साफ पानी से धोकर खायें। बेकिंग सोडा कीटनाशकों के हानिकारक प्रभाव को पूरी तरह साफ कर देता है।


*छिलका छील कर खायें-*


अगर आप फल और सब्जियों को धोकर उनका छिलका निकालकर खायें तो 90 प्रतिशत कीटनाशक तो फल में से अपने आप ही निकल जाएंगे।